शनिवार, 31 अगस्त 2013

औरत

अस्मत जो लुटी तो तुझको 
बेहया कहा गया, 
मर्जी से बिकी तो नाम 
वेश्या रखा गया,
हर बार सलीब पर, 
औरत को धरा गया ...

बेटे के स्थान पर,
जब जन्मी है बेटी, 
या फिर औलाद बिन, 
सुनी हो तेरी गोदी,
कदम कदम पर अपशकुनी
और बाँझ कहा गया,

जब भी तेरा दामन फैला,
घर के दाग छुपाने को ,
जब भी तुमने त्याग किये थे ,
हर दिल में बस जाने को,
इक इक प्यार और त्याग
को 'फ़र्ज़' कहा गया,

पंख पसारे आसमान को,
जब जब छूना चाहा,
रंग बिरंगे सपनों को,
हकीकत करना चाहा,
तू अबला है तेरी क्या,
औकात कहा गया ...
हर बार सलीब पर,
औरत को धरा गया .!!ANU!!