शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2011

"दहेज दोषावली" (2)
१) वे लोगन न सराहिए दहेज मांगन आय

प्रानन प्रीत पिछानिए, कन्या न आगि समाय....


२)फिरि फिरि आवैं धन घटै सो भिखारी जान.

एसन मंगत सु ब्याहिके कन्या गवाइ जान


३)बेटी दहेज न दीजिये ग्यान दिजै भरपूर

जीवन उजलै ग्यान तें, दहेज दहन तें दूर


४)चिता दहती निर्जीव को दहेज सजीउ जलाय.

मुरख हैं मा बाप वे दुषण यो उक साय.


५)इक नारी होवै सती निकला जुलूस अनेक.

अनेक जलीं दहेज तें जुलूस न देख्यौं एक.. 

http://harsinngar.blogspot.com/

शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

"दहेज दोषावली" (१)


१) बेटी ब्याहन जो चले दहेज़ न दिजौ कोय |
दिन दिन अधम दहेजको कीड़ो विकसित होय.||

२)दहेज़ -दानव बहुरूपी ,विध विध रूप सजाय |.

फ्लेट,कार,बिदेश-व्यय, बेटी देत फसाय ||

३)दहेज़-दैत्य बसे जहां, बेटी तहा न देय.|
सुता-धन दोऊ खोयके बिपदा मोल न लेय.. ||

४)दे दहेज़ मरी मरी गए ,दुष्ट न भरियो पेट .|

ऐसे निठुर राखसका करै अगिन के भेंट||

५)वे मुआ नरकमा जाय , जेई लिनहो दहेज़.|
मुफ्त्खोरके कुल माहि बेटी कभी न भेज..||